Friday, May 20, 2016

Niagara, Cave of Winds

जल प्रपात - निआगरा केव ऑफ़ विंड्स

मधु राजन




जल है जल है, जल ही जल है
बस और नहीं कोई कुछ है
सृष्टि में केवल दो ही जन
एक मैं औ दूजा जल प्रपात
आगे पीछे ऊपर नीचे
बस और नहीं कोई कुछ है


पाँचों इन्द्रियों से एक साथ
बस जल का ही अनुभव होना
कितना अद्भुत यह अनुभव है
मुग्ध मन भूल नहीं सकता

क्योंकि
मेधा भी इस अनुभव में
कुछ ऐसी है अभिभूत प्रिये
पाँचों  इन्द्रियों के साथ साथ
मानो मस्तक के सारे ही
विचारों  को एक ओर कर के
एक ध्यान बिंदु है जल प्रपात


 मन को भी मानो आभास हुआ
यह नहीं कोई साधारण सा
पर एक विलक्षण अनुभव है
इसको पूरा अनुभूत करो
आने दो जैसे आता है
तन-मन को ओत-प्रोत करो
विस्मृत, जीवन की आपा-धापी
भय, आशंका न कोई है
निआग्रा के रत्ती भर अंश मात्र ने
सराबोर किया तन-मन को है

उन कुछ बहुमूल्य क्षणों में ज्यों
पूरी सृष्टि सिमट - सिमट
हुयी व्याप्त दो चिन्हों में
एक मैं औ दूजा जल प्रपात

संभवतः है यह कुछ विचित्र
क्यों कि मैं नहीं अकेली हूँ
आगे पीछे, दायें बाएँ
पर्यटकों के हैं बड़े झुंड  

घिरी हुयी यों लोगों से
औ चलते सबके साथ-साथ
लगता मेरे अतिरिक्त न कोई है
एक मैं हूँ दूजा जल प्रपात

मैं हूँ जल है, जल ही जल है
बस और नहीं कोई कुछ है

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