काव्या कत्थक और दादी 15-6-2018
पुलकित,आह्लादित दादी
थिरकत, ठुमकत पोती
स्नेह भरे ६६ के आगे
चंचल ६ वर्षीया छोटी
थिरके पाँव बनाके मुद्रा
सुन तबले पर पड़ती थाप
गुरु की ता थेई थेई तत
चकरघिन्नी सी नाचे आप
दादी की स्नेहिल आँखों में
नाच उठे स्वपन अनेक
१० की बाला, बने किशोरी
नवयुवती K सजीली नेक
फिर कत्थक से आप ही आप
मन जाता कॉलेज की ओर
ग्रेजुएशन, डिग्री, पुरस्कार
लेती अपनी काव्या हर ओर
(चितचोर)
कौन जाने तब तक
मैं धरती पे रहूँ या न
पर मेरा प्यारआशीर्वाद
सदा कवच बन होगा पास
मधु राजन
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